
पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची की मलीर जेल में सोमवार रात ‘क़ैदियों की परेड’ देखी गई — न किसी इजाज़त के, न पैरोल के, बल्कि भूकंप के बहाने से।
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जमीन हिली… और जेल प्रशासन भी!
इस्लामाबाद नहीं, कराची का मलीर इलाका अचानक सुर्खियों में तब आया जब भूकंप के झटकों से ज़मीन ही नहीं, जेल की सुरक्षा भी ‘हिल’ गई। अफवाह उड़ गई कि दीवार गिर गई है — फिर क्या था, क़ैदी बग़ैर सीटी के दौड़ पड़े।
1,000 कै़दी जमा, गेट बना गेटवे ऑफ़ फ्रीडम
पुलिस अधीक्षक अरशद शाह के मुताबिक़, दीवार नहीं टूटी थी, पर डर की दीवारें जरूर गिर गईं। 1,000 से ज़्यादा क़ैदी गेट पर जमा हो गए। गिनती करना मुश्किल और संभालना नामुमकिन! इस अफरा-तफरी में 216 क़ैदी भाग निकले।
एक की मौत, तीन सुरक्षाकर्मी घायल
फ़ायरिंग हुई, भगदड़ मची और एक क़ैदी की जान चली गई। तीन सुरक्षाकर्मी घायल हुए। 78 क़ैदी दोबारा गिरफ़्तार किए गए हैं, बाकी अभी भी ‘चोरी और चुपके’ वाली आज़ादी का मज़ा ले रहे हैं।
“आईजी साब रिपोर्ट भेजो वरना ट्रांसफर हो जाओ!”
सिंध के जेल मंत्री अली हसन ज़रदारी ने तुरंत रिपोर्ट तलब की है। बयान आया: “लापरवाही नहीं चलेगी, वरना नौकरी जाएगी।” उम्मीद है ये धमकी उस गेट से तेज़ निकलेगी, जिससे क़ैदी निकले।
जेल ब्रेक या व्यवस्थाओं का ब्रेकडाउन?
हर बार कोई ‘एक्सक्यूज़’ होता है — कभी बारिश, कभी बिजली और अब भूकंप। पर सवाल अब भी वहीं हैं:
जेल के अंदर क़ैदियों की निगरानी है या WiFi से ट्रैकिंग?
क्या पाकिस्तान की जेलें सुधारगृह हैं या दरवाज़ा खुला तो ‘भाग जाने का घर’?
ये जेल है या ‘नो-कॉस्ट हॉस्टल’?
इस पूरी घटना को देखकर इतना तो तय है कि पाकिस्तान की जेल व्यवस्था में सुधार की नहीं, मरम्मत की ज़रूरत है। ये भागना सिर्फ क़ैदियों का नहीं, सिस्टम की जवाबदेही से भागने का भी सबूत है।